Forests: शेर तथा हाथी जैसे जंगली जानवरों का आवास क्या है? आपको लकड़ी, बाँस तथा बेंत कहाँ से मिलते हैं? अधिकांश औषधीय पादप कहाँ उगते हैं? तारपीन तथा राल का स्रोत क्या है? मरुस्थलीय क्षेत्रों में कम वर्षा क्यों होती है? प्राचीन मानव की मातृभूमि क्या थी? मध्य प्रदेश तथा अंडमान एवं निकोबार के आदिवासी व्यक्तियों की मातृभूमि क्या है?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर वन है।
प्रस्तावना (Introduction)
वन, पेड़ों, झाड़ियों से पूरी तरह घिरा हुआ एक बड़ा क्षेत्र होता है जो प्राकृतिक रूप से उगते हैं। इसका यह तात्पर्य नहीं है कि वन केवल पहाड़ों पर ही होते हैं, वन मैदानों में भी हो सकते हैं।
वनों के विभिन्न प्रकार (Different Types of Forest)
वन में उगने वाले पेड़ों का प्रकार, औसत वर्षा, मृदा का प्रकार तथा स्थान की ऊँचाई पर निर्भर करता है। वनों के प्रकार-औसत वर्षा तथा अन्य जलवायु परिस्थितियों के अनुसार वन निम्न प्रकार के होते हैं.
1. उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
ये क्षेत्र गर्म तथा आर्द्र होते हैं तथा पूरे वर्ष कभी भी सूखे नहीं होते। औसत वर्षा 200 सेमी० तथा तापमान लगभग 15°C से 35°C होता है। पेड़ों की ऊँचाई 40-50 मीटर होती है। ये पेड़ इतने पास-पास उगते हैं कि ये सूर्य के प्रकाश को जमीन पर नहीं पहुँचने देते।
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2. उष्णकटिबंधीय वन या मानसून वन
इस क्षेत्र में तापमान तथा वर्षा में मौसमी परिवर्तन होते हैं वार्षिक वर्षा लगभग 150 सेमी० तथा तापमान 20° से 45° के मध्य रहता है। यहाँ निश्चित सूखा मौसम होता है, अतः पेड़ अपनी पत्तियों को गिराते हैं।
3. समशीतोष्ण कटिबंधीय वन
इन वनों में कठोर लकड़ी तथा नर्म लकड़ी के मिश्रित पेड़ होते हैं; जैसे—ऑक, पाइन, यूकेलिप्टस तथा बाँस। इन पे लकड़ी की व्यापारिक कीमत बहुत उच्च होती है।
वार्षिक वर्षा लगभग 75 सेमी० तथा तापमान प्रसार लगभग 20°C-40°C के मध्य होता है।
4. शंकुधारी वन
इन वनों में एक बड़े क्षेत्र में एक ही प्रजाति के पेड़ होते हैं। ये पेड़ लंबे तथा सीधे होते हैं तथा इनकी पत्तियाँ सूई होती हैं। चीड़, भोज-पत्र तथा देवदार जैसे पेड़ यहाँ सामान्य हैं।
वन में परतें (Regions in a Forest)
वितानावरण-लंबे पेड़ों के चोटी की सबसे ऊपरी परत को आच्छादन कहते हैं। यह वन की वर्षा के लिए बड़ा छाता बनाती है।
निम्नस्थ वन-वितान (अंडर स्टोरी ) – छोटे पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ तथा लंबी घास जो आच्छादन के नीचे उगते हैं। निम्नस्थ वन वितान या अंडर ग्रोथ कहलाते हैं।
वनस्थल – यह वन की जमीनी सतह होती है। इसमें ह्यूमस की है। छोटी जड़ी-बूटियाँ; जैसे— ब्रायोफाइट्स तथा फर्न यहाँ उगते हैं। प्रचुरता होती
वन हमारी सहायता कैसे करते हैं:
1. वन वायु को शुद्ध करते हैं- प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान पादप वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं तथा हमारी श्वास प्रक्रिया के लिए ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
2. वन वायुमंडलीय तापमान को नियंत्रित करते हैं जिसके कारण वर्षा होती है वाष्पोत्सर्जन के दौरान वायु से ऊष्मा अवशोषित की जाती है, जिसके द्वारा वायुमंडल का तापमान कम होता है। वापोत्सर्जन आर्द्रता बढ़ाता है, जोकि बादलों के निर्माण में मदद करता है। औसत वर्षा वन के घिरे हुए क्षेत्रफल पर निर्भर करती है।
3. वन बाढ़ नियंत्रण करते हैं- पेड़ों की पत्तियाँ वर्षा जल की चाल को कम करती हैं तथा जल की भारी मात्रा को जड़ों में रोके रखती हैं। वर्षा का जल धरती पर धीरे-धीरे गिरता है। इस प्रकार वन जल स्तर को उचित बनाए रखते हैं।
4. वन जंगली जानवरों को आश्रय प्रदान करते हैं। वन जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास है क्योंकि ये यहाँ से आसानी से भोजन प्राप्त करते हैं तथा स्वयं को सुरक्षित रखते हैं। वन में सभी जंतुओं के लिए आश्रय होता है।
वन मृदा अपरदन को रोकते हैं तथा मृदा को ह्यूमस प्रदान करते हैं: वन में उगने वाले पेड़ों तथा पौधों की जड़ें मिट्टी के बाँधकर रखती हैं, जिसके कारण मृदा अपरदन कम होता है। टूटी हुई पत्तियाँ मृदा में ह्यूमस को बढ़ाती है।
6. वन हमें बहुत से उपयोगी उत्पाद प्रदान करते हैं, जैसे
(क) इमारती लकड़ी।
(ख) ईंधन की लकड़ी ।
(ग) बाँस तथा बेंत ।
(घ) रबड़, रेसिन, गोंद तथा तारपीन
(ङ) कागज तथा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी।
(च) औषधीय पेड़; जैसे— नीम, आमला, यूकेलिप्टस, सिनकोना चिकित्सकीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
आयुर्वेदिक तथा यूनानी दवाइयाँ पादपों से प्राप्त होती हैं। आयनवृत्त वर्षा वन देशों की अर्थव्यवस्था उनके वन उत्पादों पर निर्भर होती है।
वन विनाश (Deforestation)
उद्योगों में लकड़ी के उपयोग के लिए तथा घरेलू प्रयोजनों के लिए पेड़ों का कटान या वनों के सफाए को वन विनाश कहते हैं। आजकल सड़कों को चौड़ा करने के लिए सड़कों के किनारे लगे पेड़ों को काटा जा रहा है।
अब तक आपको स्पष्ट हो गया होगा कि पेड़ों को काटने के दुष्प्रभाव क्या हैं? आपको अपने विद्यालय के वन महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित होना होगा।
वनरोपण (Afforestation)
वनों को पूरा करना के लिए नए पेड़ लगाने को वनरोपण कहते हैं। पहाड़ों पर भूस्खलन सामान्य है। पहाड़ी ढलानों पर नए पेड़ लगाना भूस्खलन कम करने का एकमात्र रास्ता है। हरिद्वार के आस-पास का क्षेत्र रेतीला है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंसा देवी पहाड़ी को बचाने के लिए पेड़ लगाए हैं।
माल प्रादपों तथा जंतुओं की परस्पर निर्भरता (Interdependence of Plants and Animals)
पादप तथा जंतु परस्पर लाभान्वित होते हैं। यह वास्तव में आदान-प्रदान का एक उदाहरण है। पादप जंतुओं पर प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड के लिए निर्भर हैं। कीट परागण में तथा फलों के फैलने में सहायता करते हैं। जंतुओं का मूत्र तथा मल मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं।
जंतु पादपों पर निर्भर हैं-
1. प्रत्येक जंतु (शाकाहारी या माँसाहारी) भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पादपों पर निर्भर हैं।
2. जंतु श्वसन के लिए ऑक्सीजन पादपों से प्राप्त करते हैं।
3. पेड़, पक्षियों, गिलहरियों तथा छिपकलियों के लिए आवास प्रदान करते हैं।
क्रियाकलाप-1
उद्देश्य-अपने मित्र के लिए एक पारिस्थितिक क्लब बनाइए तथा अपने स्कूल के बगीचे का भ्रमण कीजिए। वहाँ उगने वाले पादपों की देखभाल कीजिए। प्रत्येक वर्ष नए पादप लगाने का प्रयास कीजिए। कागज बचाने के तरीके सुझाइए। कागज का अधिक उपयोग, वनीय पेड़ों पर अधिक दबाव।
अपघटन–अपघट्य जीवाणु जंतु तथा वानस्पतिक व्यर्थ को ह्यूमस में परिवर्तित कर देते जो पादपों द्वारा पुनः पोषण में उपयोग होता है। इसे अपघटन कहते हैं।
खाद्य श्रृंखला का उदाहरण
जैव-विविधता – एक विशिष्ट वन क्षेत्र में जंतुओं तथा पादपों में पाई जाने वाली विभिन्नता है।
पादप – लंबे पेड़, झाड़ियाँ, औषधीय पौधे, बेलें, फर्न आदि सभी पादप हैं। जंतु – जंगली मांसाहारी, हिरन, गीदड़, भेड़िये, बंदर, छिपकली, साँप, पक्षी, आदि सभी जंतु हैं।
वन का संरक्षण (Conservation of Forest)
हमें अपने लाभ के लिए तथा भविष्य की पीढ़ी के लिए, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वनों का संरक्षण आवश्यक है।
वनों के संरक्षण के कुछ तरीके निम्न प्रकार हैं
1. लोगों को पेड़ों के लाभों से जागरूक होना चाहिए।
2. यदि 1 पेड़ काटा जाए तो 4, 5 नए पेड़ लगाए जाने चाहिए।
3. जलाने के लिए लकड़ी का उपयोग बंद होना चाहिए।
4. वन महोत्सव कार्यक्रम को लोगों में प्रचलित बनाना चाहिए।
5. विद्यालय, सड़क के किनारे, रेलवे ट्रैक के साथ-साथ, प्रत्येक खाली स्थान में घने रूप से वृक्षीकरण होना चाहिए।
6. वनों की आग को नियंत्रित करना चाहिए।