भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन (Physical and Chemical Changes)

भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन (Physical and Chemical Changes)
आपने लोगों को अक्सर कहते हुए सुना होगा “परिवर्तन प्रकृति का नियम है।” जी हाँ यह सही है। आइए, निम्न प्राकृतिक परिवर्तनों को लेते हैं, जिनमें एक या अन्य परिवर्तन होते हैं।

  • पर्वतों पर बर्फ का पिघलना।
  • सर्दियों में झीलों का जमना।
  • ओलावृष्टि।
  • बादलों का बनना।
  • फलों का पकना।
  • दूध का खट्टा होना।
  • लोहे पर जंग लगना।
  • कुकिंग गैस का जलना।
  • गर्मियों में फलों का बेस्वाद होना।
  • भोजन का पचना |

विस्तार से कहें, तो इन परिवर्तनों को दो मुख्य श्रेणियों में बाँट सकते हैं

1. भौतिक परिवर्तन
2. रासायनिक परिवर्तन

भौतिक परिवर्तन (Physical Change)

अवस्था, आकृति, आकार, रंग आदि में परिवर्तन जिसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता तथा पदार्थ का रासायनिक संघटन नहीं बदलता भौतिक परिवर्तन कहलाता है। कुछ अवसरों पर साधारण विधियों द्वारा यह विपरीत हो सकता हैं।

Physical and Chemical Changes

मोम का पिघलना, चीनी का घोल बनाना, पानी का वाष्पन होना, बादलों का वर्षा में संघनन होना, जल का जमना, भौतिक परिवर्तन के कुछ सामान्य उदाहरण हैं।

जल का रासायनिक सूत्र HO है। बर्फ तथा भाप का सूत्र भी HO है। जल का इसकी तीन अवस्थाओं, द्रव, ठोस तथा गैस में परिवर्तन, भौतिक परिवर्तन का एक अन्य उदाहरण है।

अब निम्न परिवर्तनों को देखते हैं—

  • कागज का फटना।
  • लकड़ी का कटना ।
  • काँच की बोतल का चटखना।
  • विद्युत बल्ब का जलना। लोहे का गर्म लाल होने तक गर्म होना।
  • गेहूँ के दानों का पिसना।

प्रत्यक्ष रूप से परिवर्तन अनुत्क्रमणीय प्रतीत होते हैं वैसे ये सभी भौतिक परिवर्तन हैं क्योंकि इनमें से किसी भी पदार्थ को रासायनिक संघटन नहीं बदल रहा है।

रासायनिक परिवर्तन (Chemical Change)

वे परिवर्तन जिनमें मूल पदार्थ के रासायनिक गुण परिवर्तित होकर भिन्न रासायनिक परिवर्तन वाले नए पदार्थ बनते हैं, रासायनिक परिवर्तन कहलाते हैं। Chemical Changes के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  • हरे फलों का पकना।
  • दूध से दही बनना।
  • अंडे से ऑमलेट बनना।
  • मोमबत्ती का जलना।
  • लकड़ी से चारकोल बनना।
  • वनस्पति पदार्थ का सड़ना।
  • लोहे पर जंग लगना।
  • खाने के सोडे का नींबू के रस में मिलना।
  • मिट्टी के तेल तथा स्प्रिंट का जलना।
  • बीजों का अंकुरित होना।
  • अंडे या आलू का उबलना।
  • कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा चूने के पानी का दूधिया होना।
  • गन्ने के रस का सिरका बनना।
  • फलों के रस का किण्वन होना।
  • अधिक पके फलों का गलना।

रिसायनिक परिवर्तन एक अनुत्क्रमणीय परिवर्तन है। नए बने पदार्थ का रासायनिक संघटन मूल पदार्थ से भिन्न होता है। मैग्नीशियम के तार का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है।

जब मैग्नीशियम फीता जलाया जाता है, तो एक सफेद रंग का पदार्थ मैग्नीशियम ऑक्साइड बनता है।

2Mg + O, 2 MgO →

अब, MgO से मैग्नीशियम धातु सरलता से प्राप्त नहीं की जा सकती।

ग्लूकोज का ऑक्सीकरण एक रासायनिक परिवर्तन है।

हमारी जीवित कोशिकाओं में ग्लूकोज ऑक्सीजन से क्रिया करके ऊर्जा बनाता है। कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल वाष्प अंत्य उत्पाद हैं।

C.HO, + 602 → 6Co, + 6H_O + ऊर्जा

स्वाभाविकतः कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल, ग्लूकोज नहीं बना सकते हैं। (प्रकाश-संश्लेषण को नकारने पर)

लकड़ी का चारकोल में बदलना एक रासायनिक परिवर्तन है क्योंकि चारकोल में केवल कार्बन ही 95% पाया जाता है। अब हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन चारकोल के तत्त्व नहीं हैं।

(भोजन का पचना- एक रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि स्टार्च शक्कर में बदल जाता है तथा प्रोटीन अमीनों अम्ल में बदल जाता है।

भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन का एकमात्र उदाहरण जिसमें ये दोनों साथ-साथ होते हैं। अमोनियम क्लोराइड का गर्म करना

NHẠC NH, + Hel (उत्क्रमणीय रासायनिक अभिक्रिया) यह एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि NH.CI की वाष्प ठंडा होने पर ठोस NH,CI बनाती है। यह एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि NH,CI टूटकर NH, तथा HCI बनाता है (यद्यपि यह एक अस्थायी रासायनिक परिवर्तन है)। भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन में मुख्य अंतर निम्न प्रकार हैं

जंग लगना (Rusting)

लोहे की वस्तुओं पर जंग लगना एक सामान्य समस्या है। यह एक रासायनिक परिवर्तन है जिसमें लोहा धीरे-धीरे वायु तथा जल से क्रिया करके जंग बनाता है। अन्य धातुएँ भी मंद गति से वायु की ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं। ऑक्साइड की परत धातु की चमक को कम कर देती है।

इस विधि को धातुओं का संक्षारण कहते हैं या धातुओं को खाना कहते हैं क्योंकि इस जंग के कारण धातुएँ कमजोर हो जाती हैं।

जंग को रोकने की कुछ सामान्य विधियाँ (Some common methods of checking rusting)

1. लोहे के पदार्थों की सतह पर ग्रीस लगाइए। यह ऑक्सीजन को लोहे के सीधे संपर्क में आने से रोकता है। 2. पेंट करना।

3. गैल्वेनीकरण—–नट तथा लोहे की चादर जैसे लोहे के सामानों पर जिंक की पतली परत चढ़ाते हैं। इस चादर को जी आई चादर (जी आई से तात्पर्य है गैल्वेनीकृत लोहा) कहते हैं।

4. निकल या क्रोमियम की परत चढ़ाना-ऑटोमोबाइल सामान क्रोमियम प्लेटेड लोहे की बनाई जाती है।

वाष्पन तथा क्रिस्टलीकरण (Evaporation and Crystallisation)

वाष्पन का उपयोग द्रव में खुले ठोसों को अलग करने में होता है, उदाहरण के लिये जल में घुले हुए सामान्य नमक को इस तरीके से अलग करते हैं। विलयन को सूर्य के प्रकाश में एक चपटे बर्तन में रखते हैं। जल धीरे-धीरे उड़ना प्रारंभ करता है। अंत में बर्तन में सामान्य नमक रह जाता है। वाष्प की प्रक्रिया द्वारा समुद्री जल या नमकीन पानी की झील से सामान्य नमक निकाला जाता है।

किंतु इस तीरके से बने सामान्य नमक के क्रिस्टल बहुत छोटे तथा अशुद्ध होते हैं। हम क्रिस्टलों की आकृति साफ तौर पर नहीं देख सकते हैं। जबकि शुद्ध पदार्थ के बड़े क्रिस्टल उसके विलयन से निकाले जाने की प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते हैं) क्रिस्टलीकरण भौतिक परिवर्तन का एक उदाहरण है।

क्रियाकलाप-1

  1. एक बीकर लीजिए तथा उसमें 3/4 भाग तक पानी भरिए ।
  2. इसमें कुछ फटकरी पाउडर डालो तथा विलयन को गर्म करो।
  3. इसमें तब तक फिटकरी पाउडर डालो जब तक यह घुलना बंद न हो जाए। इसे फिटकरी का संतृप्त विलयन कहते हैं।
  4. अब फिल्टर पेपर की सहायता से एक बीकर में गर्म विलयन को छानिए।
  5. विलयन को ठंडा कीजिए।

अवलोकन- विलयन शुद्ध फिटकरी के क्रिस्टलों में बदल जाता है।

क्रियाकलाप- 2

लोहे की एक पत्ती लीजिए। एक शक्तिशाली चुंबक द्वारा इसे चुंबकित कीजिए। यह चुंबक की भाँति लोह वस्तुओं को आकर्षित करती है। लोहे की पत्ती को अत्यधिक गर्म कीजिए। क्या यह अभी भी लौह वस्तुओं को आकर्षित करती है। चुंबकित लौह पत्ती पर परिवर्तन को परिभाषित कीजिए।

क्रियाकलाप- 3

कॉपर सल्फेट का संतृप्त विलयन बनाइए। रेशमी धागे से बाँधकर कॉपर सल्फेट का एक क्रिस्टल विलयन में लटकाइए। 2-4 दिन के बाद क्रिस्टल का आकार देखिए। इसमें क्या परिवर्तन होता है?

क्रियाकलाप- 4

थोड़ी-सी प्लास्टिक मिट्टी लीजिए। एक पतली चादर बनाने के लिए इसे रोल कीजिए। इसे ऊपर उठाइए। इस चादर को एक गेंद में बदलिए। आकृति बदल गई। इसमें क्या परिवर्तन होता है? कारण की व्याख्या कीजिए।

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